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-सदर अस्पताल सभागार में शिक्षा, स्वास्थ्य़ और आईसीडीएस के कर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण
-प्रशिक्षण में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. मनोज कुमार चौधरी ने कर्मियों को दिया प्रशिक्षण
भागलपुर-
जिले में एनीमिया मुक्त भारत अभियान को तेज किया जाएगा। जिले में यह अभियान 2019 में शुरू हुआ है। बीच में कोरोना के कारण इसकी गति पर असर पड़ गया था, लेकिन अब जब कोरोना के मामले नियंत्रण में आ गए हैं तो इस अभियान को जिले में एक बार फिर से तेज किया जा रहा । इसे लेकर सोमवार को सदर अस्पताल में स्वास्थ्य, शिक्षा और आईसीडीएस के कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. मनोज कुमार चौधरी, डीसीएम भरत जी और डीडीए जफरूल इस्लाम समेत तमाम स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे। सोमवार को नवगछिया, पीरपैंती, नाथनगर और सन्हौला के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक, लेडी सुपरवाइजर, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और प्रखंड बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण देने का काम जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. मनोज कुमार चौधरी ने किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में शिक्षा की भूमिका महत्वपूर्णः मौके पर मौजूद जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. मनोज कुमार चौधरी ने कहा कि बच्चों में एनीमिया एक गंभीर समस्या है। आमतौर पर लंबे समय तक बहुत कम आयरन के सेवन और तेजी से शारीरिक विकास के कारण बच्चे एनीमिया की चपेट में आ जाते हैं। इस कारण बच्चों के शारीरिक, मानसिक एवं तार्किक क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ता है। बच्चों की शैक्षणिक उपलब्धता और कौशल भी एनीमिया के कारण प्रभावित होते हैं। इसलिए एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम को जिले में तेज करना बहुत जरूरी है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में शिक्षा विभाग के अधिकारियों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण रहेगी। इसलिए इसमें आपलोग बढ़-चढ़कर अपनी भूमिका निभाएं।
सुनिश्चित करें कि कोई बच्चा नहीं छूटेः जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. चौधरी ने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत छह माह के बच्चे से लेकर 19 साल के युवाओं तक को दवा खिलानी है। इस कार्यक्रम के तहत सबसे अधिक लाभार्थी स्कूलों में ही है। लाभुकों की बड़ी संख्या स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे या फिर बच्चियां हैं। इसलिए आपलोगों से आग्रह है कि इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। स्कूल आने वाले एक-एक बच्चे के बारे में सुनिश्चित करें कि कोई भी दवा लेने से छूट नहीं जाए।
स्कूलों में प्रत्येक बुधवार को होगा संचालनः जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. मनोज कुमार चौधरी ने कहा कि इस कार्य़क्रम के तहत छह से नौ आयुवर्ग के बच्चों को सप्ताह में एक बार प्रत्येक बुधवार को एक गुलाबी गोली का सेवन एमडीएम के बाद कराने का प्रावधान है। इसी तरह 10 से 19 आयुवर्ग के किशोरों एवं युवाओं को प्रत्येक बुधवार को एक नीली गोली टिफिन के बाद दी जाएगी। बुधवार को अगर कोई बच्चा छूट जाता है तो उसे गुरुवार को स्कूलों में दवा दी जाएगी।
रिपोर्टर
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Aishwarya Sinha