फाइलेरिया से बचाव के लिए जागरूकता और सतर्कता बेहद जरूरी : डाॅ धीरेंद्र कुमार 

 
- फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं विभिन्न कार्यक्रम 
- बचाव के लिए सामुदायिक स्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को किया जा रहा जागरूक 
 
लखीसराय-
 
फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग काफी गंभीर और सजग है। जिसे सार्थक रूप देने के लिए सरकार द्वारा फाइलेरिया के खिलाफ विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। जिसके माध्यम से लोगों को इस बीमारी के कारण, लक्षण, बचाव एवं उपचार की जानकारी दी जा रही है। ताकि सामुदायिक स्तर पर लोग जागरूक हो  जाएं और शुरुआती दौर में ही बीमारी की पहचान कर  अपना इलाज शुरू करवा सकें। दरअसल, इस बीमारी से बचाव के लिए जागरूकता के साथ-साथ सतर्कता भी बेहद जरूरी है। इसलिए, जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियमित तौर पर लगातार विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। साथ ही फाइलेरिया से पीड़ित व्यक्ति को सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध सुविधाओं की भी जानकारी दी जा रही है। ताकि संबंधित मरीज अपना सुविधाजनक तरीके से  इलाज करवा सकें और बीमारी पर रोकथाम सुनिश्चित हो सके। 
 
- फाइलेरिया से बचाव के लिए अल्बेंडाजोल और डीईसी की दवा का सेवन जरूरी : 
जिला वेक्टर जनित-रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ धीरेंद्र कुमार ने बताया, फाइलेरिया से बचाव के लिए अल्बेंडाजोल और डीईसी की दवा का सेवन बेहद जरूरी है। इसलिए, सरकार द्वारा समय-समय पर एमडीए अभियान का आयोजन कराया जाता है। जिसके माध्यम से जिले भर में पखवाड़ा चलाकर लोगों को दवाई का सेवन कराया जाता है। जबकि, फाइलेरिया से पीड़ित व्यक्ति को स्थानीय स्वास्थ्य संस्थानों में शिविर आयोजित कर एमएमडीपी किट उपलब्ध करायी जाती है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग द्वारा एएनएम, आशा कार्यकर्ता समेत अन्य कर्मियों के सहयोग से अभियान चलाकर लोगों को जागरूक भी किया जाता है। वहीं, उन्होंने बताया, एमडीए अभियान  में   लोगों को खुद के सामने अल्बेंडाजोल एवं डीईसी की दवाएं खिलाई जाती हैं। उक्त दवा गर्भवती महिलाओं एवं गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के अलावा दो वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों को छोड़कर शेष सभी लोगों को स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा खिलाई जाती है। 
 
- क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है फाइलेरिया : फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है, जो क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इसका कोई पर्याप्त इलाज संभव नहीं है। लेकिन, इसे शुरुआती दौर में ही पहचान करते हुए रोका जा सकता है। इसके लिए संक्रमित व्यक्ति को फाइलेरिया ग्रसित अंगों को पूरी तरह स्वच्छ पानी से साफ करना चाहिए। साथ ही सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही डीईसी व अल्बेंडाजोल की दवा का नियमित सेवन करना चाहिए। 
 
- मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं फाइलेरिया : 
फाइलेरिया मुख्यतः मनुष्य के शरीर के चार अंगों को प्रभावित करता है। जिसमें पैर, हाथ, हाइड्रोसील एवं महिलाओं के स्तन शामिल हैं। हाइड्रोसील के अलावा फाइलेरिया संक्रमित अन्य अंगों को ऑपरेशन द्वारा ठीक नहीं किया जा सकता है। संक्रमित व्यक्ति को समान्य उपचार के लिए किट उपलब्ध कराई जाती है, जबकि हाइड्रोसील फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति को मुफ्त ऑपरेशन की सुविधा मुहैया कराई जाती। 
 
- साइड इफेक्ट से घबराएं नहीं : 
दवा सेवन के बाद किसी तरह के सामान्य साइड इफेक्ट से घबराने की जरूरत नहीं है। अमूमन जिनके अंदर फाइलेरिया के परजीवी होते हैं, उनमें ही साइड इफेक्ट देखने को मिलते। साइड इफेक्ट सामान्य होते हैं, जो प्राथमिक उपचार से ठीक हो जाते। 
 
- फाइलेरिया क्या है ? 
- फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है।
- किसी भी उम्र का व्यक्ति फाइलेरिया से संक्रमित हो सकता है।
- फाइलेरिया के लक्षण हाथ और पैर में सूजन (हाँथीपाँव) व हाइड्रोसील (अण्डकोष में सूजन) है। 
- किसी भी व्यक्ति को संक्रमण के पश्चात बीमारी होने में 05 से 15 वर्ष लग सकते हैं। 
 
- इन बातों का रखें ख्याल : 
- भूखे पेट दवा नहीं खिलानी है।
- किसी के बदले किसी अन्य को दवा ना दें और स्वास्थ्य कर्मी के सामने दवा खाएं।
- गर्भवती महिलाओं को दवा नहीं खिलानी है। 
- 02 वर्ष छोटे बच्चे को दवा नहीं खिलानी है। 
- गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को भी दवा नहीं खिलानी है। 
 
- फाइलेरिया से बचाव के उपाय : 
- सोने के समय मच्छरदानी का निश्चित रूप से प्रयोग करें।
- घर के आसपास गंदा पानी जमा नहीं होने दें।
- अल्बेंडाजोल व डीईसी दवा का निश्चित रूप से सेवन करें। 
- साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें।

रिपोर्टर

  • Swapnil Mhaske
    Swapnil Mhaske

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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