-सहयोगी संस्था ने मानवाधिकार दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन कर अधिकारों पर किया चर्चा



-सहयोगी संस्था ने मानवाधिकार दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन कर अधिकारों पर किया चर्चा


-खुशियों की उड़ान से एकल महिलाओं को किया जा रहा आत्मनिर्भर 


पटना, 10 दिसंबर: महिलाओं के प्रति होने वाली हिंसा को कम करने की दिशा में सकारात्मक प्रयास किये गये हैं. महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूता लाकर, शैक्षणिक रूप से मजबूत और आर्थिक रूप से आ​त्मनिर्भर बना कर उनके प्रति होने वाली हिंसा की दर में कमी लाने में सफलता प्राप्त हुआ है. ऐसे में किशोरियों में आत्मविश्वास लाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. 


इसे लेकर सहयोगी संस्था जिला के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही है. संस्था द्वारा जेंडर आधारित हिंसा के खिलाफ   16 दिवसीय अभियान भी चलाया गया है.  इस अभियान के अंतिम दिन शनिवार को मानवाधिकार दिवस होने के कारण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दिवस के अवसर पर जिला के सराय पंचायत में "खुशियों की उड़ान" कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में तरुमित्रा की देवोप्रिया, पैनाल की सरपंच बबिता, जमसौत पंचायत की वार्ड सदस्य सरोज देवी, बलुआं की मुखिया माधुरी, समाजसेवी कांचनौ वाला तथा समाज सेवा श्वेतांक मिश्रा उपस्थित थे. कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं एवं पुरुष मौजूद रहे.  


सहयोगी संस्था की रजनी ने बताया कि ऐसे कार्यक्रमों की मदद से किशोरियों और महिलाओं को अपनी अभिव्यक्ति को व्यक्त करने का मौका मिल पाता है. एकल महिलाओं को ऐसे कार्यक्रमों से आत्मविश्वास दिलाने में मदद मिलती है ताकि वे अपने तरीकापें से समाज में अपनी पहचान बना सकें. ऐसे कार्यक्रम के दौरान एकल महिलाओं को सम्मानित भी किया जाता है. महिलाओं को मानवाधिकार के बारे में जानना चाहिए. ताकि वे मानव के रूप में अपने अधिकारों की सुरक्षा कर सकें. भारत के संविधान ने महिलाओं को समाज का महत्वपूर्ण ईकाई माना है. एक मानव के रूप में महिलाओं को अपने अधिकारों की प्राप्ति के लिए संवैधानिक और कानूनी प्रावधान दिये गये हैं. परंपरा के नाम पर महिलाओं और किशोरियों के साथ पक्षपातपूर्ण रवैया को समझने की जरूरत है. उनके हक पुरुषों को दे दिये जाते हैं जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. नारीवादी आंदोलनों के कारण ही महिलाएं आज यहां तक पहुंच सकी हैं.    


कार्यक्रम के दौरान मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए बताया कि समाज में महिलाओं व पुरुषों की दैनिक दिनचर्या में एक अवधारणा यही बनी हुई है कि पुरुष को ही घर चलाने का अधिकार है. सिर्फ वित्तीय रूप से कमाई करने और निर्णय लेने की जिम्मेदारी पुरुषों की है. लेकिन सच्चाई यह है कि निर्णय लेने का अधिकारी महिलाओं को भी है. महिलाएं भी आर्थिक रूप से घर का संचालन कर सकती है. इसके लिए सिर्फ उन्हें एक मौका देने की जरूरत है

रिपोर्टर

  • Swapnil Mhaske
    Swapnil Mhaske

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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