केजरीवाल का मकसद जनता की सेवा नहीं, करोड़ों रुपये के बंगले का भ्रष्टाचार छिपाना है: शाह

 
नईदिल्ली-
 
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की पहल पर गुरुवार को लोकसभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 को पारित कर दिया गया। जहाँ शाह, वहाँ राह को चरितार्थ करते हुए अमित शाह ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उनके तर्क के सामने कोई टिक नहीं सकता। लोकसभा में बहस की शुरुआत करते हुए अमित शाह ने कहा कि, ‘दिल्ली में विधानसभा की शुरुआत 1993 में की गई थी। तब से दिल्ली में कभी भाजपा तो केंद्र में कांग्रेस और दिल्ली में कभी कांग्रेस तो केंद्र में भाजपा की सरकार रही है। आज तक इस मुद्दे पर बिना किसी टकराव के दोनों ही पार्टियों ने शासन किया है। लेकिन साल 2015 में जब केजरीवाल की सरकार बनी तो समस्या की शुरुआत हुई। दरअसल आप पार्टी का मकसद जनता की सेवा करना नहीं है, बल्कि इस बिल का विरोध करके दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार को छिपाना है। विपक्ष के बाकी पार्टियों का विरोध भी महज गठबंधन को बचाना है। विपक्षी कितना भी गठबंधन कर ले, 2024 में मोदी जी का प्रधानमंत्री बनना तय है।’ 
 
लोकसभा में भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह द्वारा दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 को पेश करने के साथ ही विपक्ष की सभी पार्टियों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। हालाँकि इस बिल के पास होने से आप पार्टी के अलावा किसी और पार्टी पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, लेकिन विपक्ष का विरोध सिर्फ और सिर्फ महागठबंधन को बचाए रखने के लिए था। महागठबंधन की नींव तो वैसे भी कमजोर है और अब बिल के पास होते ही केजरीवाल निश्चित तौर पर महागठबंधन से बाहर निकल जाएंगे। 
 
शाह का स्पष्ट मानना है कि सदन में जिन नेताओं ने उनके ऊपर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफत का आरोप लगाया, उन लोगों ने शायद अदालत का पूरा फैसला पढ़ा ही नहीं। अदालत ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि संसद को अनुच्छेद 239A के तहत किसी भी मसले पर दिल्ली को लेकर कानून बनाने का पूर्ण अधिकार है। 
अपने अलग ही अंदाज में अमित शाह ने दिल्ली के गठन का इतिहास बताते हुए कहा कि,  ‘1911 में अंग्रेजों ने महरौली और दिल्ली तहसीलों को पंजाब से अलग करके गठित किया था। बाद में पट्टाभि सीतारमैय्या ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की थी। लेकिन पंडित नेहरू, सरदार पटेल, राजेंद्र प्रसाद और आंबेडकर जी ने इसका विरोध किया था।’
पूरे बहस के दौरान शाह ने दिल्ली सेवा बिल के पक्ष में जिस तेवर के साथ अपनी बात रखी, उससे तो यह स्पष्ट हो जाता है कि विवाद अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकारों को लेकर नहीं है, बल्कि विजिलेंस को हाथ में लेकर बंगले पर किए गए खर्च को छिपाने और शराब घोटाले से बाहर निकलने पर है।

रिपोर्टर

  • Aishwarya Sinha
    Aishwarya Sinha

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