नूंह-मेवात सियासत की नई बिसात, कांग्रेस-भाजपा आमने-सामने

-रितेश सिन्हा 
वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक
मेवात हरियाणा और उत्तर-पूर्वी राजस्थान और दिल्ली के नजदीक दो राज्यों का मिला-जुला इलाका है। भौगोलिक दृष्टि से मेवात एक पहाड़ी क्षेत्र है, जिसकी सीमाएं राजस्थान में भरतपुर में देग, अलवर और धौलपुर, हरियाणा के रेवाड़ी, पलवल और गुड़गांव और उत्तर प्रदेश में मथुरा जिलों के कुछ भाग को जोड़कर बनती हैं। हरियाणा के नूंह जिले के चर्चा में आने का कारण 31 जुलाई और 1 अगस्त को जिस सांप्रदायिक हिंसा का तांडव हुआ, वो हिंसा की घटनाएं मेवात तक ही सीमित नहीं रहीं बल्कि हरियाणा में ही पड़ोसी जिलों पलवल और गुरग्राम तक इसकी आग पहुंच गईं। अलग-अलग हिस्सों में हुई इन घटनाओं में दो पुलिसकर्मियों समेत 6 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। 
संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने मणिपुर हिंसा के संदर्भ में सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया और कहा कि हिंदुस्तान की सेना एक दिन में मणिपुर में शांति ला सकती है लेकिन दिल्ली से सटे इलाके नूंह और मेवात की चर्चा करना उनके एजेंडे में नहीं था। कांग्रेस के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन और इमरान प्रतापगढ़ी और कांग्रेस अध्यक्ष के सिपाहसलार नासिर हुसैन भी राज्यसभा में खामोश दिखे। यही नहीं सदन से बाहर एआईसीसी के दो सबसे बड़े नेता और दिग्गज तारिक अनवर अपने कमरे में बैठकर राहुल के खिलाफ प्रियंका को प्रधानमंत्री बनाने के अपने मंसूबों में जुटे हैं। 
वहीं राहुल के वफादार बने पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की चुप्पी भी समझ से परे है। ऐसे अल्पसंख्यकों के मामले में सलमान बेबाकी से बोलने में बदनाम भी हैं, लेकिन वो भी हरियाणा के इस हिंसात्मक मसले में चुप हैं। हिन्दुस्तान का मुस्लिम समाज बी भाजपा के मुकाबले कांग्रेस का चुनावों में समर्थन करने को तैयार बैठा है, लेकिन कांग्रेस में कौम के सरदार लाभार्थी बने घूम रहे हैं। ये तमाम नुमाइंदे मणिपुर के अल्पसंख्यक कूकी ईसाईयत की बात तो करते हैं लेकिन मुस्लिम समुदाय के लिए चर्चा करना भी मुनासिब नहीं समझते। 
हाई कोर्ट नूंह में अतिक्रमण हटाने व निर्माण गिराने पर संज्ञान लेकर हरियाणा सरकार से जवाब-तलब ही नहीं किया बल्कि सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि इस मामले में एक खास समुदाय विशेष को टारगेट किया जा रहा है। कोर्ट ने पूछा कि किसी भी निर्माण को गिराने से पहले क्या नोटिस जारी करने की प्रक्रिया का सरकार ने पालन किया है। इसके जवाब में एडवोकेट जनरल का बयान भी आ चुका है जिसमें उन्होंने कहा कि इस पर अभी लिखित निर्देश आना बाकी है। उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार नियमों के मुताबिक ये कार्रवाई कर रही है और तोड़फोड़ जारी रहेगी, मगर किसी भी नियम की अनदेखी हुई है तो कार्रवाई रोकेंगे। उधर सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेशों के अनुपालना करते हुए जिले में तोड़फोड़ अभियान फिलहाल रोक दिया गया है। स्थानीय उपायुक्त ने इससे संबंधित अधिकारियों को अवैध निर्माण रोकने के आदेश दिए हैं। मेवात विकास सदस्यों की टीम सोमवार को जिला सचिवालय पर डीसी से मिल चुकी है और उन्हें ज्ञापन भी सौंपा गया था जिसमें मेवात विकास सभा ने कहा कि दोनों समुदाय के लोगों के बीच आपसी मतभेद भुलाकर सद्भाव बनाने हैं। मेवात विकाससभा के सदस्य व इतिहासकार सिद्दीक अहमद ने कहा कि 31 जुलाई को जिस तरह की घटना हुई मेवात के जितने भी संजीदा लोग हैं वह इसकी घोर निंदा करते हैं। उस दिन में हुई हिंसा का सभी को बड़ा अफसोस है। 
नूंह के बारे में बता दें कि ये दो बार अलग-अलग नामों से जिला बनाया जा चुका है। 2 अक्टूबर 2004 को तत्कालीन मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने पुन्हाना में इसे गुड़गांव से अलग करते हुए सत्यदेव पुरम जिला बनाने की घोषणा की थी। जब अप्रैल 2005 में कांग्रेस सत्ता आई तो इसे दोबारा से जिला बनाने की अधिसूचना जारी की और इसका नाम बदल कर मेवात कर दिया गया। 2016 में मेवात का नाम फिर एक बार बदलकर नूंह कर दिया गया। 2018 में नीति आयोग में एक सर्वे रिपोर्ट जारी की जिसमें जिसमें नूंह को देश का सबसे पिछड़ा जिला बताया गया था। वैसे नूंह जंगे आजादी जिसे अंग्रेजों ने गदर कहा था, 1857 में हुए गदर का प्रमुख केंद्र भी रहा था। गदर के शहीदों की याद में यहां शहीद पार्क भी बनाया गया था जहां अब नगर पालिका का कार्यालय है। मौजूदा समय नूंह में एजुकेशन हब के साथ शिक्षा का बड़ा केंद्र बनाने की सरकारी योजना पर अमल हो रहा है। 
2011 में मेवात की जनसंख्या 10,89,263 थी, जिसमें पुरुष और महिला क्रमशः 5,71,162 और 5,18,101 थे। 2001 की जनगणना के अनुसार, मेवात की जनसंख्या 7,89,750 थी, जिसमें पुरुष 4,15,947 और शेष 3,73,803 महिलाएं थीं। 2011 में जिले का जनसंख्या घनत्व 729 निवासी प्रति वर्ग किलोमीटर था। 2001-2011 के दशक में इसकी जनसंख्या वृद्धि दर 37.94 फीसदी थी। यहां प्रति 1000 पुरुषों पर 906 महिलाओं का लिंगानुपात है और साक्षरता दर 56.1 प्रतिशत है। मेवात में साक्षरता दर बेहद कम है, खासकर महिलाओं के मामले में। मेवात में मुस्लिम महिलाओं के लिए साक्षरता दर महज 1.76-2.13 प्रतिशत के बीच है जो देश में सबसे कम है।
भाजपा की खट्टर सरकार इसे पूर्वात्तर मणिपुर के बाद राजनीति की प्रयोगशाला बनाकर सांप्रदायिकता का रंग देते हुए, वोट बैंक की राजनीति में जोड़-घटाव के समीकरण के साथ आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी है। कांग्रेस अभी राहुल गांधी की वापसी के जश्न में सराबोर है। वहीं कांग्रेस में राहुल गांधी के खिलाफ दिल्ली से दूर रखने की कोशिशों में एक और यात्रा शुरू करा रहा है। चुनाव तक राहुल भारत जोड़ो यात्रा के नाम पर पदयात्रा करेंगे और एआईसीसी में बैठे मठाधीश कांग्रेस टिकटार्थियों का शोषण करने में जुटे होंगे। देखना है कि भाजपा का एनडीए गठबंधन और कांग्रेस का नया इंडिया गठबंधन अल्पसंख्यक समाज को लेकर क्या दृष्टिकोण अपनाता है, इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
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