-जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में बांटी जा रही हैं मेडिकल किट
-किट में मौजूद साबुन, एंटी सेप्टिक क्रीम व अन्य सामान के इस्तेमाल से मिलेगी राहत
बांका-
फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है जो न सिर्फ आर्थिक और शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक तौर पर भी परेशान करती है। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कितनी खतरनाक बीमारी है। ऐसे में लोगों को खुद को और अपने परिजनों को मच्छरों से बचाना होगा। साथ ही जो लोग फाइलेरिया की चपेट में आ गए हैं, वह पूरी तरह तो ठीक नहीं हो सकते, लेकिन उन्हें राहत पहुंचाने के लिए लगातार प्रयास हो रहे हैं। इसी सिलसिले में अभी जिले में फाइलेरिया के मरीजों के लिए एक मेडिकल किट बांटी जा रही हैं। इस किट में एक छोटा टब, मग, साबुन, एंटीसैप्टिक क्रीम, पट्टी इत्यादि सामान हैं। इसके सहयोग से फाइलेरिया मरीज होने वाले जख्म को ठीक कर सकते हैं, जिससे उन्हें थोड़ी राहत मिलेगी।
वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी आरिफ इकबाल ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी से तो मरीजों को पूरी तरह आजादी नहीं मिलती है, लेकिन बेहतर मोर्बिडिटी प्रबंधन के जरिये थोड़ी राहत जरूर मिलती है। इसी को लेकर मरीजों में किट बांटी जा रही है। जिलेभर में 500 किट बांटी जानी है। जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, रेफरल अस्पताल और सदर अस्पताल में यह किट उपलब्ध है। फाइलेरिया के मरीज इन जगहों पर जाकर यह किट ले सकते हैं। आरिफ इकबाल कहते हैं, दरअसल फाइलेरिया के मरीजों की चमड़ी थोड़ी मोटी हो जाती है। जिस जगह पर फाइलेरिया होता है, वहां पर जख्म का खतरा भी रहता है। जख्म होने के बाद मरीजों को ज्यादा परेशानी नहीं हो, इसके लिए किट में मौजूद दवा और सफाई से फाइलेरिया रोगियों को राहत मिलेगी।
क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है फाइलेरियाः जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डी भी बी डी सी ओ) डॉ. बीरेंद्र कुमार यादव कहते हैं कि फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। क्यूलेक्स मच्छर घरों के दूषित स्थलों, छतों और आसपास लगे हुए पानी में पाया जाता है। इससे बचाव के लिए लोग घरों के आसपास गंदगी और पानी नहीं जमने दें। घर के आसपास साफ-सफाई रखनी चाहिए। बुखार आना, शरीर में लाल धब्बे या दाग होना, शरीर के किसी भी अंग में सूजन होना इसके लक्षण हैं। ज्यादातर इस बीमारी से ग्रसित लोगों के पांव या हाइड्रोसिल में सूजन हो जाती है। लोग इस बीमारी से सुरक्षित रह सकें, इसके लिए सरकार साल में एक बार एमडीए अभियान चलाती है। इससे लोगों को जरूरी दवा उपलब्ध होती है, जो इस बीमारी को रोकने में सहायक होती है।
रिपोर्टर
Dr. Rajesh Kumar
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
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